यकीन जब कभी खुद टूटने लगता है
साथ मेरा ही मुझसे फिर छूटने लगता है
हद से ज्यादा तकलीफ होती है तब
जब अंदर ही अंदर ज़ख्म फूटने लगता है
बहुत रोता है ये दिल चीख चीख कर
कोई अपना मेरा जब मुझे लूटने लगता है
कुछ इस तरह टूटने लगा हूँ मैं आजकल
जैसे शीशा कोई खुद ब खुद टूटने लगता है ।



मेरे साँचे में ढल के देख कभी।
तू भी थोड़ा पिघल के देख कभी।

जाति-मज़हब के तंग घेरे से,
यार बाहर निकल के देख कभी।

इस जलन में भी है मज़ा कितना,
तू पतिंगे सा जल के देख कभी।

क्या बतायें की राह कैसी है,
साथ कुछ दूर चलके देख कभी।

तेरी ग़ज़लें भी लोकप्रिय होंगी,
इनके तेवर बदल के देख कभी।

सुनो-जान, लोगो ने हमसे पूछा तेरी रजा क्या है?
क्यों करते हो इतनी मुहब्बत वजह क्या है?
कैसे बताऊ उनको मेरी खता क्या है ?
जो वजह से करे मुहब्बत उसमे मजा क्या है….?

*सादे लफ्ज़,*
*कहाँ इतना असर करते है…*
*अब ये ना सोचना की हम शायर,*
*कोई नशा करते है……..


अभी तो रात बाकी है,
मेरे दिल की बात बाकी है,
जो मेरे दिल में छुपी है,
वो ज़ज्बात बाकी है,
जल्दी से सो जाना दोस्त,
आप की नींद बाकी है,
सुबह मिलते है,
कल की शुरुवात बाकी है…

छोटी सी जिंदगी है, हर बात में खुश रहो।
जो पास में ना हो, उनकी आवाज़ में खुश रहो।
कोई रूठा हो तुमसे, उसके इस अंदाज़ में खुश रहो।
जो लौट के नही आने वाले है, उन लम्हो कि याद में खुश रहो।
कल किसने देखा है, अपने आज में खुश रहो।
खुशियों का इन्तेजार किसलिए, दुसरो कि मुस्कान में खुश रहो।
क्यूँ तड़पते हो हर पल किसी के साथ को , कभी तो अपने आप में खुश रहो।
छोटी सी जिंदगी है, हर हाल में खुश रहो।


मत पूछ ज़िंदगी ये बिताई है किस तरह
हर आह मैंने दिल में दबाई है किस तरह

तुम तो दिया जला के मुहब्बत का चल दिये
लौ ख़ूने दिल से हमने बढ़ाई है किस तरह

टूटा जो दिल तो ख़्वाब महल चूर हो गये
सच्चाई मेरे सामने आई है किस तरह

निकला मेरी वफ़ा का ज़नाज़ा कहूँ मैं क्या
काँधे पे अपने लाश उठाई है किस तरह

उठता है दिल के शहर में अब भी कहीं धुआँ
हाथों से अपनी दुनियां जलाई है किस तरह

फैले हमारे इश्क के चर्चे गली गली
यह बात दोस्तों ने उड़ाई है किस तरह

हाथ जब भी दुआ के लिये उठे
तब बेवफा की याद भी आई है किस तरह


कुछ वक़्त मिल ही गया आज,बीते वक़्त से गुफ्तगू करने को
कुछ पन्ने अपनी ही किताब के,पीछे पलट के पढ़ने को
कभी मुस्कराहट आई लबों पे ,कभी आँखे नम नज़र आई
और जब आया ज़िक्र तेरा तब एक अजीब सी ख़ामोशी थी छायी
दिल को तब भी समझाया था,किसी तरह आज भी मना ही लूँगा
अगर फिर कभी याद आई तेरी ,तो इन पन्नों को फिर पलटा लूंगा
अगर फिर कभी याद आई तेरी ,तो इन पन्नों को फिर पलटा लूंगा…..

चांद को उसके सितारों ने लूटा,
,
चमन को उसकी बहारों ने लूटा,
,
आप तो चले गए हमें 1 कसम देकर,
,
मगर आप की कसम देकर हमें हजारों ने लूटा।।।।
,

*खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं ।*
*जिसे भी देखो परेशान बहुत है ।।*
*करीब से देखा तो निकला रेत का घर ।*
*मगर दूर से इसकी शान बहुत है ।।*
*कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं ।*
*मगर आज झूठ की पहचान बहुत है ।।*
*मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी ।*
*यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं ।।*


तन्हा तन्हा……… मीठा मीठा
💕लम्हा लम्हा….तिनका तिनका
🌹 मेरा ईश्क दीवाना हो रहा …..!
ह्ल्का ह्ल्का…. मन्दा मन्दा
💕रेजा रेजा…… धुंधला धुंधला
🌹मेरा ईश्क वीराना हो रहा…….!
उजला उजला…. महका महका
💕ज़र्रा ज़र्रा. …… कतरा कतरा
🌹 मेरा ईश्क तराना हो रहा…….!
मद्धुम मद्धुम…….फिसला फिसला
💕सहमा सहमा….. बहका बहका
🌹 मेरा ईश्क फसाना हो रहा……!


कुछ नही मिलता
दुनिया में मेहनत के बगैर ,
मेरा अपना साया
मुझे धुप में आने के बाद मिला ।

कल अमावस की रात होगी
हम सब होंगे बाराती
धरती सुनहरी चुनरी ओढ़े
जायेगी अपने साजन से मिलने
दिवाली का जश्न होगा
दीयों भरी रात होगी
#काँची
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सुकून उतना ही देना,
प्रभु जितने से जिंदगी चल जाए,
औकात बस इतनी देना, कि,
औरों का भला हो जाए,
रिश्तो में गहराई इतनी हो, कि,
प्यार से निभ जाए,
आँखों में शर्म इतनी देना, कि,
बुजुर्गों का मान रख पायें,
साँसे पिंजर में इतनी हों, कि,
बस नेक काम कर जाएँ,
बाकी उम्र ले लेना, ताकि,
औरों पर बोझ न बन जाएँ

अरमान कोई सीने में आग लगा देता है;
ख्वाब कोई आकर रातों की नींद उड़ा देता है;
पुंचता हूँ जिससे भी मंज़िल का पता अब तो;
वो रास्ता तेरे घर का ही बता देता है!

Sapna kabhi sakaar nahi hota.
Mohobbat ka koi akaar nahi hota.
Sab kush mill jaata hai iss duniya mein,,😢
Magar dobara kisi se pyar nahi hota.❤❤