पप्पी की सगाई होई …
सोने की अंगूठी पहरा दी सुसराड़ आल्यां नै …
नोरमल बात सै …

लोगां तै बहाने बहाने तै अंगूठी दिखाण की कौशिश करै था किसी नै ध्यान ना दिया …
ईब बात नोरमल ना रई …

तंग आकै तीसरे दन अपणे घर मैं आग लादी … लोग कट्ठे हो कै पाणी गेर कै आग बुझाण लागरे थे … अर पप्पी वाए अंगूठी आली आंगली तै इशारे कर कर कै रुक्के देण लाग्या … औढ़ै पाणी गेरो , औढ़ै पाणी गेरो …
थोड़ी हाण मैं एक नै बूझ लिआ … रै पप्पी या अंगूठी कित तै लियाया …

पप्पी उस्तै एक रैप्टा मार कै बोल्या … रै फुफ्फा जे पहल्यां ए बूझ लेता तो मेरे घर मैं आग तो ना लागती …


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