यूँ बार बार निहारती हो आईना, ख़ूबसूरती पे गुमान है.. या शक।
कितना समेटे खुद को बार बार, टूट के बिखरने की भी सीमा होती है ||
~ Apni Deed Se Mujhe Yoon Umr Bhar Tarsay’Gah Is Baat Pe Meri Ankhon Ne Khud-Kashi Kar Li .. ^
सुनो एक फ़िक्र, किसी का #ज़िक्र साथ ले जाऊँगा थोड़ा #हँसा, तो कुछ पल रुला के चला #जाऊँगा
शक तो था मोहब्बत में नुक्सान होगा, पर सारा हमारा होगा ये मालूम न था।
सारा बदन अजीब से खुशबु से भर गया शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया..
मैं मानता हूँ खुद की गलतियां भी कम नहीं रही होंगी मगर बेकसूर उन्हें भी कहना मुनासिब नहीं
मालूम नहीं मुझे मेरी फितरत में क्या है ‘ ये तो वो दिन बताएगा जब मेरे जाने की खभर आएगी.
Waqt Acha Zaroor Aata Hai.. Par Kabhi Waqt Par Nahi Aata…!!!
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