तू याद रख, या ना रख… तू याद है, ये याद रख…
-Mohabbat Ko Azmana Haii Toh Bas Itna Hii Kaffii Haii Zara Rooth Kar Dekho Kon Mananey Aata Haii .. ‘
लड़कियाँ खिलौना नही होती… जनाब.. पिता तो यूँ ही प्यार से गुड़िया कहते हैं
दिल टूटा है मेरा और ख्वाब बिखर गये, दर्द मिला इश्क मे इतना कि जख्मो से हम निखर गये
हमारी तो ज़ुबान भी इतनी बात नहीं करती •• जितनी तुम्हारी आंखें करती है
-Kya Itne Door Nikal Aaye Hai Hum, Ke Tere Khayalo Me Bhi Nahi Aatey .. ‘
मैं भी कभी हँसता, खेलता था….!! कल एक पुरानी तस्वीर में, देखा था खुद को.
रुलाने में अक्सर उन्ही का हाथ होता है. जो कहते है कि तुम हँसते हए बहुत अच्छे लगते हो.
हमारे कत्ल के लीऎ तो मीठी जुबांन ही काफी है… अजिब शक्स थे वो जो खंजर तलाश रहे थे..!
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