क्यो डरेँ कि जिन्दगी मे कल क्या होगा,
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हर वक्त क्यो सोचे कि कुछ बुरा होगा,
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बढते रहो मंजिलो कि ओर हमेशा
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कुछ ना मिला तो क्या हुआ “तजुर्बा” तो नया होगा !


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