वो बड़े घर की थी साहब, . छोटे से दिल में कैसे रहती.
~La’Parwah Haii Woh Zamaney Bhar Ka, Phiir Bhi Accha Lagta Hai Zamaney Bhar Se .. ‘
बस आख़री साँस बाकी है ,, तुम आती हो या मैं ले लूँ…
“काश कुछ लोग बेईमान नही होते , तो आज इतने लोग परेशान नही होते!”
हमारी तलाश, तेरी लाश पे आके खत्म होगी..
~Zyada Kuch Naii Badla Haiin Tere Mere Beech Mein, Pehle Nafrat Na Thi Ab Pyar Nahii Haii .. ‘
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
लोग क़दर तभी करते हैं जब उन्हें मुँह लगाना छोड़ दो
उन्हें शिकायतों से शिकायत रहने लगी है, अब हम शिकायत जो नहीं करते!
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