टीचर :- अपनी माँ की तारीफ मैं एक ऐस्से लिखो ,

छात्र :- सर दुनिया मैं वा स्याई ना बणी जो मेरी माँ के गुण लिख सकै …

टीचर :- ओह … तो बेट्टा बाब्बू के बारे मैं लिख दे कुछ ,

छात्र :- सर जी वा कागज इ ना है सृष्टी मैं जिसपै मेरे बाब्बू की महानता लिखी जा सकै …

मास्टर जी की आंख्यां मैं पाणी आ गया छोरे तै गले लाकै बोल्या :- वाह रै महान आत्मा मनैं गर्व है तेरे पै … बड़ा हो कै के बणैंगा …

महान आत्मा बोल्या :- जी मास्टर जी बड़ा होकै नेता बणूंगा अर बिना कुछ करे धरे न्युए बड़ी बड़ी बात करकै लोगां का फद्दू बणाउंगा अर ऐश करुंगा ..



एक नशेड़ी नशे मैं औल फौल बकै था … एक जैंटलमैन सा पैहलवान उसतै आकै बोल्या :- रै तूं घरां जाकै चुप चाल्ला सोजा .. नातै ऐसा रैप्टा मारुंगा गाल का दर्द ना उटै तेरे पै …
नशेड़ी बोल्या … ओ पिलवान जी तूं जाकै सोजा … जे मारे तै मेरे दर्द होंदा तो मैं उस्से दन सुधर जांदा जब मेरे बाब्बू नै मैं नशे मैं देखकै पैहली बार छेतया था …

ग्राहक: थारी भैंस की एक आंख तो खराब सै, फेर भी तू इसके 25 हज़ार रुपये मांगन लाग्र्या सै?
आदमी: तन्नै भैंस दूध खात्तर चाहिए या नैन-मटक्का करन खात्तर..?????

इंटरयू देण गया था … सवाल बुझणिया बोल्या :- जावा के चार वर्सन बताइए … ?
मन्नैं खंखार कै गला साफ करया अर बोल्या :- हूंऊंऊंऊं मर जावा , मिट जावा , लुट जावा ओए सदके जावा … 😎😎😎

आगे तै कैहण लाग्या :- छोरे रै बोहत बढिया ,
इब तूं अपणे आप घर जावा या तन्नैं औढ़ै गेरण जावा … 😏😬😩

नौकरी तो ना मिली पर वा झकौई हरियाणवी सीख ग्या … 😂😆😜


एक मॉडर्न छोरी रुक्के देरी थी :- बुड्ढे मां बाप की जिम्मेदारी छोरियां की होती ती तो देस मैं एक बी वृद्धाश्रम ना होता ,
मखा बेब्बे वाए छोरी ब्याह पाच्छै सास सुसर नै मां बाप मान ले तो दुनिया मैं एक बी वृद्धाश्रम ना होता ,
सोच बदलो , समाज बदलेगा ,

पूनम : कोई आवाज दे है बाहर गेट पै , देखियो ।
अनिल : कौण है ?
पूनम : मैं ना पिछाणती
अनिल : अच्छा , रुकण की कह , मैं आऊं हुँ बाहर नै ।
एक तै इस घर मैं कुछ मिलता नी बख्त पै , मेरी घड़ी कित गई इब ?
किसे काम की नहीं या लुगाई , कोय चीज ठिकाणे पै नी पाती , बेरा ना के करती रह है सारे दिन बैठ्ठी बैठ्ठी ।
किस्मत फूट गी मेरी जो या पल्लै पड़ी ।
पूनम : तू पहल्या कोस ले अपणी किस्मत नै जी भर कै, तन्नै तो ज्युकर जीवन सफल कर दिया मेरा , तन्नै पा कै तो सारी इच्छा पूरी होगी मेरी ।
मौका मिलते ए जहर काढण लाग ज्या अपणा , कदे मिठास भी आया है इस जबान पै मेरे नाम का ??
इतणे मैं दुबारा किवाड़ खुड़कै है …..
अनिल : आऊं हूँ , आऊं हूँ , शांति राख ।
“नारंगी पीला सूट पहरे एक सुथरा सा चेहरा, जमीन मैं नजर ग़ाड्डे खड़ा था ।
ज्युकर कुछ छिन ग्या हो उसका”
अनिल : जी बोलो ,
पिछाणे नी आप !!
“उसकी आंख ईब भी जमीन पै थी, ज्युकर कुछ
उकेरणा चाहती हो, उस संगमरमर के धोले फर्श पै ।”
ब्होत हिम्मत जुटा कै वा उप्पर लखाई ।
अनिल : सुमन तू !!
“इस बोल के पाछै जो सन्नाटा ब्यखरा , उसकी चीख मैं , वे सारे ‘घा’ जो भर कै , नई खाल मैं ढल गे थे, एक बार फेर हरे हो गे ।”
” वो घर का गेट एक सीमा रेखा मैं बदलग्या ।”
“एक पासै रिवाजां की रस्सी तै गांठ मार कै गला घोंटी होई गृहस्थी थी और दूसरे पासै बख्त अर झूठे अहंकार की मार खाया होया प्यार।”
“बसी होई गृहस्थी मैं अलगाव का विलाप था अर उजड़े होए , दीमक के खाए होए प्यार मैं सुकून।”
“करुणा तै एक जीसी थी दोनूं पासै , बस बख्त सही ना था।”
“दिल के स्वार्थ नै गृहस्थी के किवाड़ लात मार कै बंद कर दिए थे ।”
अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल का यो शेर ब्होत सही लागै है आडै :
” रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ …
तू फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ “


ताऊ आपणे डांगरा नै ले के खेत में तै आण लाग रह्या था अर
इतने में एक मोड्डा आ ग्या अर उस नै देख कै सारे डांगर बिदक
( डर ) गे, ताऊ बोल्या ओ मोड्डे एक ओड़ नै हो ले मेरे डांगर
डर रे हैं तेरे तै ?
मोड्डा बोल्या- अरे बच्चा तुम्हें बोलने की अक्ल नहीं है, हमें
स्वामीजी कह कर बुलाते हैं,
ताऊ कै छोह उठ ग्या अर बोल्या – एक ओड नै मर ले, एक लठ
लाग ग्या तो मोड्डे तै भी जावैगा


हरियाणा का ताऊ ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करै था। टी टी इ आग्या।
TTE : ताऊ टिकट दिखा।
ताऊ: टिकट तो ना है।
TTE : क्यों नही है….? 🤨🤨
ताऊ: मन्नै टिकट खरीदी ए कोन्या।
TTE : क्यों ना खरीदी ताऊ..?
ताऊ : बस ना खरीदी भाई।
TTE : तनै डर न्ही लाग्या..? कोए पकड़ लेगा तै जरमान्ना हो ज्यागा।
ताऊ: भाई मन्नै सोच्ची अक कोए खानदान्नी TTE होगा तै छोड़ देगा अर कोई घटीया, उल्लू का पट्ठा, गधे का बच्चा, जिसकी लुगाई भी पड़ोसियां पै लैन मारती हो, कोए इसा कुत्ता होगा त जरमान्ना कर लेगा। और के…
इब तू अपणा हिसाब ला ले भाई।

TTE: जा ताऊ काच्चे काट, खिड़की कान्है बैठ ज्या, हवा लाग्गे जागी।

एक ताऊ अपने पड़ोसी के घर से घी लाने गया
ताऊ–छोरा तेरी माँ ने पूछ थारे घी है के …..
छोरा–माँ घर घी है के ताऊ पूछ है……..
माँ–बेटा तेरे ताऊ न के दे की आपने तो रोटी चोपडन जोगा ही है…..
छोरा– ताऊ मेरी माँ कह की म्हारे तो रोटी चोपडन जोगा ही है….
ताऊ–तो तेरी माँ न कह दे की में के ढुंगा चोपडन खातर लेजा हूँ..

आजकाल के बालका की घनघोर समस्या 👇👇👇
तू चाहवै सरकारी नौकरी आला
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याड़ै private की भी आस कोनी


मणिशंकर अय्यर बोल्या … मोदी जी की राजनीती नीचता आली है …
मोदी जी नै स्टेज पै रुक्का तार दिया … कांग्रेस आले मन्नै नीच कवैं हैं …
कांग्रेस नै मणिशंकर अय्यर सस्पैंड कर दिया …
ये क्या हो रहा है भाई ये क्या हो रहा है …
सब जनता तै सुतिया बणारे हैं वोट खात्तर …
अर हम इनके खिलाफ कुछ लिख दयां तो थमनै लाग्गै बेरा ना के जुल्म हो गया …


पत्नियों के बल्ड परैशर का सर्तिया इलाज …

हाई हो रया तो फोन लगा कै उसकी माँ तै बात करा द्यो ,

लो हो रया हो तो अपणी माँ तै … 😎

आजमा कै देखो , थै़क्यू बोलोगे …

जो हरियाणा रोडवैज म नी लटका,,,
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उसनै घंटा नी बैरा रिस्क लैण का


दुकान पै गया था अंडे लेण मखा कितने का एक है …

बैल्या भाई सात का …

मखा यार स्यामी दकाण आला तो पाँच का दे है …

चारौं कान्नी देख कै खड़या होकै मेरे कान मैं बोल्या …
भाई उसकी मुर्गी का करैक्टर खराब है …

अमिताभ बच्चन :- एक हजार रुपए के लिए पहला सवाल ये रहा आपकी क्म्पयूटर सक्रीन पे …
किस के नालायक बच्चे अपने पिता की कमाई पे ऐश करते हैं … आपके ऑपशन हैं …
A किसान
B मजदूर
C फिल्म कलाकार
D दुकानदार
मैं :- 😣😣😐😥😨 जी मैं लाइफलाइन ल्यूंगा ,
अमिताभ बच्चन :- हाहाहा काटाबेन शांत हो जांए …पहले ही सवाल पे … खैर कौन सी लाइफलाइन लेंगे आप …
मैं :- जी मैं एक नालायक दोस्त तै फोन करणा चाऊं हूं जो बाप की कमाई पै ऐश कर रया है … 😬😬😬
अमिताभ बच्चन :- ओह तो आपके दोस्त भी नालायक हैं हा हा हा … कौन हैं आपके वो नालायक दोस्त …😝😝
मैं :- सर जी अभिषेक बच्चन तै फोन ला दयो … 😩😩
अमिताभ :- 😡😡😈😈 अरै ठा कै बाहर गेरो इसनै कौणसे नै बुलाया था यो … नातो मैं जा रया हूं …

भाइयोरभैणों डॉलर इक्कत्तर रुपइये का हो गया है … रुपइया गिर रहा है …
क्यों हुआ सोचा है किसी नें …
ये सब कांग्रेस की गल्ती है भाइयोरभैणौंओओओ …

उन्होने एक घटिया चाल चल के रुपए का सिक्का गोल बनाया … इसलिए रुपया लुड़क कर गिर जाता है …

लेकिन अब ऐसा नही होगा मितरोंओंओं … इस बार सिक्का बंदी होगी और हम चकोर सिक्के बनांएगे … जो ना लुड़केंगे ना गिरेंगे …